Sunday, January 17, 2010

बचपन


बचपन के दुख भी कितने अच्छे थे .....

तब तो सिर्फ खिलोने टूटा करते थे .....

वो खुशिया भी ना जाने केसी खुशिया थी .....

तितली को पकड़ के उछला करते थे .....

पाव मार के खुद बारिश के पानी मैं .....
 
अपने आप को भिगोया करते थे .....
 
अब तो 1 आसू भी दिल दुखा जाता  हैं .....

बचपन मैं तो दिल खोल के रोया करते थे  .....

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