जबान जब भी खुले... तो दिल को रुसवा मत करो
हर आह में दर्द होता है ... अगर महेसूस करो.
Sunday, January 17, 2010
बचपन
बचपन के दुख भी कितने अच्छे थे .....
तब तो सिर्फ खिलोने टूटा करते थे .....
वो खुशिया भी ना जाने केसी खुशिया थी .....
तितली को पकड़ के उछला करते थे .....
पाव मार के खुद बारिश के पानी मैं .....
अपने आप को भिगोया करते थे .....
अब तो 1 आसू भी दिल दुखा जाता हैं .....
बचपन मैं तो दिल खोल के रोया करते थे .....
सिगरेट
सिगरेट है संजीवनी पीकर स्वास्थ्य बनाओ समय से पहले बूढ़े होकर रियायतों का लाभ उठाओ सिगरेट पीकर ही हैरी और माइकल निकलते हैं दूध और फल खाकर तो हरगोपाल बनते हैं जो नहीं पीते उन्हें इस सुख से अवगत कराओ बस में रेल में घर में जेल में सिगरेट सुलगाओ अगर पैसे कम हैं फिर भी काम चला लो जरूरी नहीं है सिगरेट कभी कभी बीड़ी सुलगा लो बीड़ी सफलता की सीढ़ी इस पर चढ़ते चले जाओ मेहनत की कमाई सही काम में लगाओ जो हड्डियां गलाते हैं वो तपस्वी कहलाते हैं ऐ कलयुग के दधीचि हड्डियों के साथ करो फेफड़े और गुर्दे भी कुर्बान क्योंकि… धूम्रपान एक कार्य महान |
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